Friday 15 November 2019

Issue of 15th November 2019.

Mythological faith is a reality and reality must take shape : Supreme court.

Monday 11 November 2019

राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार को लेकर बहुत भ्रम है
कि कोर्ट में फैसले का आधार क्या है ?
फ़ैसला पढ़ने  के बाद स्पष्ट होता है कि :
कोर्ट ने न पौराणिकता को आधार माना, न ऐतिहासिकता को आधार माना, और न ही  वास्तविकता को आधार माना है,
कोर्ट ने केवल कब्ज़े और कब्ज़े को आधार माना  है,
और कोर्ट ने "आस्था को  मूर्त रूप में  "राम लाला विराजमान "के स्वरुप  को स्वीकार कर कब्ज़े के आधार पर मालिकान हक़ दिया है। (  विराजमान अर्थात बा- कब्ज़ा )
 और कब्ज़े का आधार वर्ष २२ /२३ दिसम्बर १९४९ को निर्धारित किया है। 
क्योकि सरकारी दस्तावेज में रामलला जनवरी १९५० से, एक रिसीवर, अध्यक्ष (  नगर निगम फैजाबाद-कम- अयोध्या ) के संरक्षण में उस भवन में काबिज़ है, और नियमित पूजा - पाठ प्राप्त कर रहे हैं।

हम ऋणी है श्री त्रिलोकी नाथ पाण्डे के, जिन्होने "रामलला विराजमान" को अदालत में जीवंत रूप दिया।
हम ऋणी है साधू  अभिराम दास की परिकल्पना और महती प्रयास के, जिससे रामलला की मूर्ति उस भवन में प्रगट हुई।  हम ऋणी है उनके सहयोगी साधू  श्री बिंदेश्वरी प्रसाद के।
हम ऋणी है तत्कालीन  सिटी मजिस्ट्रेट श्री गुरु दत्त सिंह के, हम ऋणी है,  जिलाधिकारी  श्री के. के. नायर के जिन्होने साधू  अभिराम दास की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया।
हम ऋणी है उस अनजान हिन्दू  चौकीदार के जिसने  अपनी ड्यूटी काल में भवन का
ताला खोल, प्रभु के ऋण से उऋण हो गया। 
हम ऋणी है उस अनजान मुस्लिम चौकीदार के जिसने इस परिकल्पना को सरकारी अधिकारियो के समक्ष सत्य घटना के रूप में दर्ज़ कराया। 

Saturday 2 November 2019

Issue of 1st November 2019.
"Nationalism a non progressive thought process"
who is promoting and propagating this outlook ?

"राष्ट्रवाद", विस्तारवाद का सबसे बड़ा शत्रु है !
विस्तारवाद की विकृत व्याख्या प्रगतिशील चिंतन कहलाती है !